23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/15.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷तोरेच अगोरा करत रथे 🌷
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तोरेच अगोरा करत रथे ।
तोर मया बर वो मरत रथे ।।
अंतस के गोठ नई जानस ।
घुरवा के कचरा सरत रथे ।।
छिदराहा देख हवे दुनिया ।
डोरी कस मन ला बरत रथे ।।
हरहिंछा जिनगी जी लेबो ।
संगी पांव इहां परत रथे ।।
सुघ्घर करम आज हवे खेदू।
बरमासी फर हा फरत रथे ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
15-10-2023रविवार