23/114.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/114.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 जीयत मरत रथे🌷
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जीयत मरत रथे ।
घुरवा सरत रथे ।।
दुनिया मा रंगे।
जिनगी घुरत रथे ।।
हाँसत गोठ सुघ्घर।
सुरता करत रथे ।।
किरिया खावत सब ।
मन हा जरत रथे ।।
कइसे का खेदू।
दीया बरत रथे ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
02-11-2023गुरुवार