23/106.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/106.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 आदत ले लाचार हवे🌷
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आदत ले लाचार हवे।
जीना सब बेकार हवे।।
मरजी के मालिक देखव।
सपना कब साकार हवे।।
भटकत रहिथे जिनगीभर ।
माया के बाजार हवे।।
कइसे चलबे दुनिया मा।
दूधारी तलवार हवे।।
भंवर ले निकलय खेदू।
डोंगा अउ पतवार हवे।।
………….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
31-10-2023मंगलवार