23/05.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/05.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 मौरे आमा के डार हवे🌷
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मौरे आमा के डार हवे।
सिरतो जिनगी के सार हवे।।
बगरे रिगबिग अंजोर जिहां ।
सुघ्घर उहां ये संसार हवे।।
बिकट करलई होथे काबर।
कइसन माया बाजार हवे ।।
नीति धरम के गोठ झन करव।
देखव भइरी सरकार हवे ।।
संग चलव मोर तुमन खेदू ।
सुनलव नंगत गोहार हवे ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-10-2023शुक्रवार