मेरा किरदार शहद और नीम दोनों के जैसा है
जन्मदिन के मौक़े पिता की याद में 😥
हम दोनों यूं धूप में निकले ही थे,
पड़ोसी कह रहा था कि अगर उसका नाम "मुथैया मुरलीधरन" होता, तो व
"गमलों में पौधे लगाते हैं,पेड़ नहीं".…. पौधों को हमेशा अतिरि
धन से जो सम्पन्न उन्हें ,
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
"किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )