Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2023 · 1 min read

2278.⚘पूर्णिका⚘

2278.⚘पूर्णिका⚘
🌹देकर जहर मार जाते🌹
देकर जहर मार जाते ।
मन से जहाँ हार जाते।।
खिलती नहीं आज कलियाँ ।
नजरें बुरी मार जाते।।
दरिया कहे यूं कहानी ।
अपनी कश्ती पार जाते।।
नाते रिश्तें जोड़ देखा ।
दुनिया यहाँ खार जाते ।।
रह प्यार से रोज खेदू।
होते भला तार जाते ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
26-4-2023बुधवार

453 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
Harminder Kaur
चिला रोटी
चिला रोटी
Lakhan Yadav
है तो है
है तो है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
Meenakshi Masoom
मां तौ मां हैं 💓
मां तौ मां हैं 💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
आदम का आदमी
आदम का आदमी
आनन्द मिश्र
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
घाव वो फूल है…..
घाव वो फूल है…..
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
अस्ताचलगामी सूर्य
अस्ताचलगामी सूर्य
Mohan Pandey
*रामपुर में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के प्रत्यक्षदर्शी श्री रामनाथ टंडन*
*रामपुर में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के प्रत्यक्षदर्शी श्री रामनाथ टंडन*
Ravi Prakash
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"" *तथता* "" ( महात्मा बुद्ध )
सुनीलानंद महंत
दर्द इन्सान को
दर्द इन्सान को
हिमांशु Kulshrestha
मजदूर हूँ साहेब
मजदूर हूँ साहेब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
लिखते हैं कई बार
लिखते हैं कई बार
Shweta Soni
■एक सलाह■
■एक सलाह■
*प्रणय*
Just be like a moon.
Just be like a moon.
Satees Gond
" कभी नहीं साथ छोड़ेंगे "
DrLakshman Jha Parimal
पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
sushil sarna
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
कवि दीपक बवेजा
कहानी- 'भूरा'
कहानी- 'भूरा'
Pratibhasharma
3825.💐 *पूर्णिका* 💐
3825.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सोचा होगा
सोचा होगा
संजय कुमार संजू
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
एक फूल
एक फूल
अनिल "आदर्श"
Loading...