Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2024 · 1 min read

221 2121 1221 212

221 2121 1221 212
लूटा रहे थे अज़मत तो था कहाँ वतन
खामोश होके आवाज़ को सुनता था वतन

डोली सजी हुई है मेरी इन दिवारो पर
शम्मा जलाके घूमता कैसा मेरा वतन

आँखों में शर्म लेके खड़ा रहता है जहाँ
कहता नहीं हुआ क्या है ये आपका वतन

बाबा से क्या कहूँ मैं चली दूर आपसे
अर्थी उठाने आयेगा चल के यहां वतन

कैसे “जुबैर” कैसे सिला खून से कफ़न
बस लाश देखता है तमाशा बना वतन

लेखक – ज़ुबैर खान…….✍️

25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संसार का स्वरूप(3)
संसार का स्वरूप(3)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
झाग गुमसुम लहर के आंँसू हैं
झाग गुमसुम लहर के आंँसू हैं
Sandeep Thakur
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
Rj Anand Prajapati
जुदाई
जुदाई
Shyam Sundar Subramanian
दोपहर जल रही है सड़कों पर
दोपहर जल रही है सड़कों पर
Shweta Soni
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
गुरूर  ना  करो  ऐ  साहिब
गुरूर ना करो ऐ साहिब
Neelofar Khan
"रिश्तों में खटास पड रही है ll
पूर्वार्थ
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
कवि दीपक बवेजा
दिल
दिल
हिमांशु Kulshrestha
श्री राम अयोध्या आए है
श्री राम अयोध्या आए है
जगदीश लववंशी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
हिंद दिवस को प्रणाम
हिंद दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
अमित
पेजर ब्लास्ट - हम सब मौत के साये में
पेजर ब्लास्ट - हम सब मौत के साये में
Shivkumar Bilagrami
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
अरविंद भारद्वाज
*क्यों दिन बीता क्यों रात हुई, क्यों मावस पूरनमासी है (राधेश
*क्यों दिन बीता क्यों रात हुई, क्यों मावस पूरनमासी है (राधेश
Ravi Prakash
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
VINOD CHAUHAN
दुःख पहाड़ जैसे हों
दुःख पहाड़ जैसे हों
Sonam Puneet Dubey
तप रही जमीन और
तप रही जमीन और
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मतदान करो मतदान करो
मतदान करो मतदान करो
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
Neelam Sharma
#शीर्षक:-बहकाना
#शीर्षक:-बहकाना
Pratibha Pandey
"कैसा सवाल है नारी?"
Dr. Kishan tandon kranti
🙅allert🙅
🙅allert🙅
*प्रणय प्रभात*
तौबा ! कैसा यह रिवाज
तौबा ! कैसा यह रिवाज
ओनिका सेतिया 'अनु '
सफर
सफर
Ritu Asooja
पुरखों के गांव
पुरखों के गांव
Mohan Pandey
Loading...