2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
तू हक़ीक़त मैं हो नहीं सकता
क्यों तसव्वुर मैं देखता एसा
इश्क़ करने का ये सिला होगा
वक्त शायद बुरा रहा मेरा
रोज़ देखूं तेरी गली कूचे
माजरा जिंदगी के किस्सों का
कोई किस्मत चुरा रहा होगा
हाल पर आशियांना वों मेरा
चाहते हैं “जुबैर” ए – दुल्हन
तेरा आना तू दिलरुबा जाना
लेखक – ज़ुबैर खान……✍️