Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2024 · 1 min read

20. I’m a gender too !

First gender, second gender.
Like them I’m a third gender.

Nature has made me what I am.
Doesn’t it mean a human I too am?

Deprived I remain in every aspect.
Society robs me of worthy respect.

Denied right to work in an institution,
I am forced to enter into prostitution.

I go begging in every bus and train.
Folks look upon me with utter disdain.

I throughout my life stay uneducated.
As my life everywhere is unprotected.

You genders! Give me my human right.
I much like you can fight with all might.

Language: English
Tag: Poem
117 Views
Books from Ahtesham Ahmad
View all

You may also like these posts

चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
डॉ. दीपक बवेजा
घर हो तो ऐसा
घर हो तो ऐसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
नव्य द्वीप का रहने वाला
नव्य द्वीप का रहने वाला
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"आदमी "
Dr. Kishan tandon kranti
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
..
..
*प्रणय*
रावण जी को नमन
रावण जी को नमन
Sudhir srivastava
आओ अच्छाई अपनाकर
आओ अच्छाई अपनाकर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
13. Rain Reigns
13. Rain Reigns
Ahtesham Ahmad
रामायण सार 👏
रामायण सार 👏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सफर में हमसफ़र
सफर में हमसफ़र
Atul "Krishn"
कविता
कविता
Rambali Mishra
हिन्दी दोहा बिषय-चरित्र
हिन्दी दोहा बिषय-चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जुदाई के रात
जुदाई के रात
Shekhar Chandra Mitra
4071.💐 *पूर्णिका* 💐
4071.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
मेरी सुख़न-गोई बन गई है कलाम मेरा,
मेरी सुख़न-गोई बन गई है कलाम मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आँखे नम हो जाती माँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
Sushil Pandey
गर्मियों में किस तरह से, ढल‌ रही है जिंदगी।
गर्मियों में किस तरह से, ढल‌ रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
जाॅं भी तुम्हारी
जाॅं भी तुम्हारी
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
सुहाना
सुहाना
पूर्वार्थ
तथाकथित धार्मिक बोलबाला झूठ पर आधारित है
तथाकथित धार्मिक बोलबाला झूठ पर आधारित है
Mahender Singh
मुक्तक _ दिखावे को ....
मुक्तक _ दिखावे को ....
Neelofar Khan
नवजीवन
नवजीवन
Deepesh Dwivedi
गुज़िश्ता साल -नज़्म
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
किसान और धरती
किसान और धरती
ओनिका सेतिया 'अनु '
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
Phool gufran
*ये रिश्ते ,रिश्ते न रहे इम्तहान हो गए हैं*
*ये रिश्ते ,रिश्ते न रहे इम्तहान हो गए हैं*
Shashi kala vyas
चिंतन का विषय अशिक्षा की पीड़ा,, बेटा बचाओ
चिंतन का विषय अशिक्षा की पीड़ा,, बेटा बचाओ
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Loading...