20- कोरोना की त्रासदी
कोरोना की त्रासदी
कोरोना है काल बना देश विदेश में ।
शांति विलुप्त हुई हर परिवेश में।।
लाखों की संख्या में प्रतिदिन मरते लोग।
प्रयत्न हुए फेल सब, बढ़ गया ज़्यादा रोग।।
सरकार ने निर्देश दिये रोकने को पल-पल ।
जनता की लापरवाही से यत्न हुए निष्फल ।।
बीमारी है फैल रही प्रतिदिन दो गुनी ।
मोदी जी की विनती हो रही अनसुनी ।।
शहर-शहर औषधालयों में बेड उपलब्ध नहीं
कालाबाज़ारी दवाओं की कहने को शब्द नहीं ।।
ऑक्सीजन की पूर्ति में हो रही लापरवाही ।
मृत्युदर बढ़ रही कोई जिम्मेदार नहीं ।
लाशों की लम्बी लाइन लगी शमशान में।
चितायें अब जल रही खुले मैदान में।।
दफनाने की जगह नहीं किसी कब्रिस्तान में ।
वैक्सीन पर विश्वास नहीं आम इंसान में ।।
“दयानंद”