सनम हर पल तुझी को ही लिखे शब्दों में पाया है।
(2)ग़ज़ल
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सनम हर पल तुझी को ही लिखे शब्दों में पाया है
पिरोकर हर ग़ज़ल में बस तुझे ही गुनगुनाया है ।।
सभी अरमां लिखूं कैसे समझ जज़्बात को जाना
बसा के आरज़ू दिल में जो ख़्वाबों को सजाया है ।।
हजारों गम पले दिल में शिकायत क्या करूं रब से
जमाना बस दिया है दर्द जाने क्यों रुलाया है ।।
जहां करती है बातें अनगिनत न हो परेशां तुम
सनम हर बात जानू जो तुम्हें हर पल सताया है ।।
निभाकर “ज्योटी”अपना फर्ज को सम्मान करना तुम
यही माता – पिता ने हमको जीवन में सिखाया है।।
स्वरचित रचना,
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️