…
समझ जाते हैं वक़्त की जो नज़ाक़त
कभी बैठकर हाथ मलते नही हैं ,
जो रखते हैं केवल दिलों में मोहब्बत
तरक़्क़ी पे गैरों के जलते नही है ,,
समझ जाते हैं वक़्त की जो नज़ाक़त
कभी बैठकर हाथ मलते नही हैं ,
जो रखते हैं केवल दिलों में मोहब्बत
तरक़्क़ी पे गैरों के जलते नही है ,,