130 किताबें महिलाओं के नाम
यह सच है कि 115 साल पहले महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। शोषण, अत्याचार, भेदभाव, असमानता, उत्पीड़न और पिछड़ापन तो दूर, उन्हें वोट देने का अधिकार तक नहीं था। इन समस्याओं से निपटने के लिए क्लारा जेटकिन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आधारशिला रखी थी। पुरुष प्रधान समाज से अधिकार छीनने के लिए महिलाओं ने अपने लिए आवाज उठाई थी। उस समय 15 हजार महिलाओं ने परेड निकाली थी। बहुत सारी मांगों के साथ खास मांगें थीं कि उनकी कार्य अवधि में कमी की जाए, वेतन बढ़ाया जाए और वोट का अधिकार दिया जाए।
115 साल पहले उठी आवाज आज भी बदस्तूर जारी है। आज भी तमाम पुरुष भी ऐसे हैं, जो महिलाओं के हक की आवाज उठा रहे हैं, उनके इकबाल की बुलंदी का गुणगान करने में लगे हैं। ऐसी ही एक शख्सियत को हम डाॅ. इसहाक तबीब बदायूंनी के नाम से जानते हैं। तबीब साहब विभिन्न विषयों, पहलुओं पर 180 से भी अधिक किताबों की रचना कर चुके हैं। इनमें से 130 किताबें महिलाओं को समर्पित की हैं। ये सारी किताबें ऐसी महिलाओं को समर्पित की हैं, जिन्होंने किसी न किसी विशेष क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसी भी तमाम महिलाएं हैं, जिन्हें आमतौर पर कम ही लोग जानते हैं।
किताबों का समर्पण करते समय देश-विदेश की ऐसी महिलाओं को शामिल किया है, जिन्होंने समाज के उत्थान में सहभागिता की हो। डाॅ. तबीब ने इस काम में धर्म-जाति, वेश-भूषा, देश, भाषा, सीमाओं आदि किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया है। यानी प्रतिभा, व्यक्तित्व, संघर्ष और योगदान को महत्व देते हुए महिलाओं को सम्मानित करने का अद्वितीय और सराहनीय काम किया है। डाॅ. इसहाक तबीब की महिलाओं को समर्पित 100 किताबों का प्रकाशन पूरा होने के बाद प्रोफेसर रवि भूषण पाठक ने एक अलग संग्रह तैयार किया है। महिला शतक के रूप में 100 किताबों की विषय सूची के साथ 100 महिलाओं की उपलब्धियां और उनका परिचय यानी महिला शतक को मंजुल प्रकाशन, बदायूं ने प्रकाशित किया है।
इन महिलाओं के नाम समर्पणः अंतरिक्ष में चहलकदमी करने वाली वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स, दया-करुणा की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा, क्रांतिकारी दुर्गा भाभी, कल्पना दत्त, सावित्री बाई फुले, लक्ष्मी सहगल, कस्तूरबा गांधी, सुचेता कृपलानी, एनी बेसेंट, पर्यावरणविद मेधा पाटेकर, अद्विति मुखर्जी, साहसी महिला मलाला यूसुफजई, उर्दू में हनुमान चालीसा का अनुवाद करने वाली नाजनीन अंसारी, केरल में साक्षरता मिशन को पूर्ण करने वाली चोलाकोदम आयशा, बाल मजदूरों को मुक्त कराने वाली मेरठ की रजिया सुल्तान के नाम शामिल हैं।
इसके अलावा हिन्दी-उर्दू कथाकार शाइस्ता फाखरी, अरुणा आसफ अली, ज्ञानपीठ पुरस्कार पानी वाली कुर्रतुल एन हैउर, डाॅ. प्रतिभा राय, बछेंद्री पाल, हलीमा याकूब, लेखिका कुसुम खेमानी, प्रतिभा राय, अफगानी साहसी महिला शाह बीबी ताराखैल, अवध की बेगम हजरत महल, बागेश्वरी कमर, मैडम क्यूरी, महाश्वेता चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी चैहान, डाॅ. रशीद जहां, हरे बुर्के वाली, जुलैखा बानो, अजीजन बाई शहीद, अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, सोनरूपा विशाल, आयशा नूर, आईएएस इल्मा अफरोज, फ्लोरेंस नाइटिंगेल समेत 130 महिलाओं को अपनी किताबें समर्पित की हैं।