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सहकर जग का दर्द तू, रख मुख पर मुस्कान
नारी तेरे रूप की, ये असली पहचान
पहन मौन की ओढ़नी, सुन सबका संवाद
नारी का जेवर यही, रखना हर पल याद
अपने सपनों का तुझे, करना है बलिदान
नारी तेरे रूप की, ये असली पहचान
देना तुझको ताड़ना, है इस जग की रीत
जीवन में होंगे सदा, आँसू तेरे मीत
तेरे हिस्से में नहीं , मान और सम्मान
नारी तेरे रूप की, ये असली पहचान
काँटों का रहता सदा ,तेरे सिर पर ताज
रानी बनकर तू करे, सारे घर पर राज
मीठा कड़वा जो मिले, हँसकर करती पान
नारी तेरे रूप की, ये असली पहचान
06-06-2022
डॉ अर्चना गुप्ता