12.धुंआ
कौन कहता है धुआं,
केवल-
होता काला ?
होते इसके कई रंग
है, यह भी – सबने
देखा भाला।
जितना गहरा होता
धुआं ।
दहकती होती –
उतनी ही आग।
धुएं के उठने से हो तो-
पहचानी जाती
आग।
न जले आग-
न उठे धुआं ।
न छूटे दम –
न पूछे कोई –
ग़म।
अस्तित्व अपना जताने को
आग को जलाना
धुएं को उठाना ।
ज़रूरी है।
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