(ख़्याल तुम्हारा)
ख़्याल तुम्हारा आता रहता है
मुझे नींदों से जगाता रहता है।
रह रह कर मेरे मन के भीतर
दर्द सदा ये बढ़ाता रहता है।
ख़्याल तुम्हारा आता रहता है
पल पल मुझे सताता रहता है।
यादों के तेरे इस अग्नि कुंड में
हरपल मुझे जलाता रहता है।
ख़्याल तुम्हारा आता रहता है
मेरी रूह को तड़पाता रहता है।
तिल तिल कर वो प्यार तुम्हारा
याद मुझे दिलाता रहता है।
ख़्याल तुम्हरा आता रहता है
सुख चैन मेरा चुराता रहता है।
प्यार की सजी महफ़िल में भी
ये सदैव मुझे रुलाता रहता है।
ख़्याल तुम्हारा आता रहता है
बीमार मुझे बनाता रहता है।
गहरी निद्रा में भी आकर मेरी
आँखों से अश्क़ बहाता रहता है।
ख़्याल तुम्हारा आता रहता है
मेरे दिल मे कहीं समाता रहता है।
गुजरे हुए उस कल का अक्सर
अहसास मुझे कराता रहता है।