"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
हिम्मत मत हारो, नए सिरे से फिर यात्रा शुरू करो, कामयाबी ज़रूर
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
हुई कोशिशें सदियों से पर
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
■ सतनाम वाहे गुरु सतनाम जी।।
शाम हो गई है अब हम क्या करें...