बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
सफ़र ठहरी नहीं अभी पड़ाव और है
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मन में क्यों भरा रहे घमंड
25-बढ़ रही है रोज़ महँगाई किसे आवाज़ दूँ
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
*दो तरह के कुत्ते (हास्य-व्यंग्य)*
शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
मेरी बच्ची - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जन्म-जन्म का साथ.....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन