? मातृभूमि वंदन…
मेरे प्यारे वतन….???
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मेरे प्यारे वतन तुझको शत-शत नमन।
ओ महकते चमन तुझको शत-शत नमन।
मेरे प्यारे वतन…..
तेरे पहरे पे हिमराज उत्तर दिशा।
वक्ष पर दिल-दीवाना मनोरम बसा।
मध्य-उत्तर प्रदेशों की शोभा अजब
रामराजा करें कष्ट-दुःख का शमन।
मेरे प्यारे वतन…..
माँ प्रकृति का तुझको ये वरदान है।
सभ्यता और संस्कृति की पहचान है।
छः ऋतु तीन मौसम की अनुपम छटा।
धो के चरणों को सागर करे आचमन।
मेरे प्यारे वतन…..
धानी चूनर ही माँ तेरा श्रृंगार है।
बहती नदियों का निर्मल गले हार है।
फूल-फल औषधि सम्पदा अनगिनत।
पाके करता है क्यों नर यहाँ विष-वमन?
मेरे प्यारे वतन…..
धर्म-जाति अलग हैं अलग रंग हैं।
भाई-चारे से रहते सभी संग हैं।
एक-सी हैं इबादत सभी की यहाँ।
नित्य कर लें सभी अवगुणों का हवन।
मेरे प्यारे वतन…..
वेद-ग्रन्थों से अविरल सुयश जब बहा।
इसको ‘सोने की चिड़िया’ जहां ने कहा।
‘विश्व कल्याण’ की भावना भारती।
‘तेज’ से कर रही ”विश्व का तम हरण।”
मेरे प्यारे वतन…..
ओ महकते चमन…..
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?तेज मथुरा✍