?आंखें ?
” सूरत और सीरत” जी हाँ इन दोनों को ही सर्वाधिक प्रभावित करने वाली अहम किरदार है हमारी आंखें।
आंखें यानि नयन, चक्षु, नेत्र, अंखियाँ, नैना, निगाहें और न जाने क्या-क्या खूबसूरत नाम नहीं दिये हैं संसार ने इन्हें।
आंखें हैं तो सब कुछ है। आंखें सजती तो हमारे सूरत पर हैं लेकिन दिखाती वही हैं हमारी असली सीरत को।
आंखों की भाषा पढ़ना नहीं है आसान।
आंखें हमारे जीवन की हर परिस्थिति में अलग-अलग भूमिका निभाती हुई देखी जा सकती है यथा – –
–एक बालक अपनी भोली-भोली अंखियों से सबका मन मोह लेता है।
–एक दुल्हन के सलज्ज नैना शर्मो हया से भरे दिखाई देते हैं।
–एक माँ की नेत्रों में ममत्व का सागर हिलोरें लेता हुआ देखा जा सकता है।
–एक वीर सिपाही की सजग निगाहों में दिखाई देता चौकन्ना पन स्वयं में अद्वितीय है।
–एक दुखी के कातर नयन उसके दुखड़े की कहानी कहते नजर आते हैं।
–एक सताई आत्मा की आंखों में उतरा खून प्रतिशोध की ज्वाला दिखाता है।
भिन्न भिन्न रूप दिखाती हैं ये अंखियाँ।
कुछ भी हो, आंखें हैं तो जीवन है। आंखें हमारे व्यक्तित्व की परिभाषा हैं। हमारे अन्तर्मन की परिचायक हैं। आंखें हमारी जिंदगी हैं। दृष्टि के बिना जीवन अधूरा है।यदि हमारी आंखों पर एक दिन के लिए काली पट्टी बांध कर पूरे दिन उसी अवस्था में दैनिक कार्य करने के लिए कहा जाए तो क्या हम आसानी से कार्य कर सकते हैं? जरा कल्पना तो करके देखिये। इसके बाद आप अपने दृष्टि हीन बन्धुओं के विषय में विचार कीजिएगा।
यदि हम में से प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में यह प्रण ले ले कि इस दुनिया से विदा लेने से पूर्व वह एक जिन्दगी को रोशन करके जाएगा तो यह हमारे उन दृष्टि हीन भाई बहनों के लिए एक ऐसा अमूल्य वरदान सिद्ध होगा जिनके लिए जीवन अंधकार की कालिमा के सिवाय कुछ भी नहीं।
यदि आप अपने बहुमूल्य समय में से कतिपय कीमती क्षण व्यय करके मेरा यह लेख पढ़ने का कष्ट कर रहे हैं तो मेरा आपसे कर बद्ध अनुरोध है कि इस तथ्य पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर इससे जुड़ें और नेत्रदान के महाअभियान में भागीदार बन कर किसी की जिन्दगी संवारने का महापुण्य कमाएं।
सच है आंखें हैं तो सब कुछ है…………
–रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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