पांच बोतल
पांच बोतल ?????
“Belated Teachers Day”
राजस्थान के रेगिस्तान में पांच बोतलें बैठकर आपस में गपशप कर रहे थे उनमें से एक अखबार पढ़ रहा था कि अचानक एक खबर पर नज़र गयी की मेघालय के चेरापूंजी में कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है। नदी,तालाब,खेत-खलिहान सब डूब रहे हैं,तो उसने बाकि सारे बोतलों को ये खबर सुनायी तो सभी जोर जोर से ठहाके लगाकर हंसने लगे कि धरती पर कहीँ बारिश भी होता है!ये तो सरासर अफवाह है या किसी संपादक ने मजाक में ये खबर छाप दी है। लेकिन उन सब को तनिक लगा भी की बारिश हो भी सकता है,तो एक ने कहा कि यार हमने तो कभी बारिश देखी नही हैं तो क्योँ ना चेरापूंजी चलकर एकबार देखा जाए कि आखिर बारिश होती क्या है ,सुना भले है लेकिन कभी देखा नही।यहाँ राजस्थान में तो हमेशा लू ही चलते रहता है। तो अन्य चारों ने कहा अरे ये सब बकवास है,मनगढ़ंत कहानी हैं,जाओगे बेवजह पैसे खर्च होंगे,मुझे नही जाना ।फिर उस बोतल ने सबको मनाया कि आखिर चलकर देख ही लिया जाए कि हकीकत है क्या??
कुछ पूरे मन से कुछ अधूरे मन से चेरापूंजी जाने के लिए तैयार हुआ। सबने राजस्थान से चेरापूंजी के लिए ट्रेन पकड़ा। चेरापूंजी के क्षेत्र में पहुंचते ही एक बोतल को वहाँ के मौसम का ठंडा ठंडा एहसास होने लगा लेकिन अन्य चार को कुछ बुझा नही रहा था। सभी बोतल चेरापूंजी सकुशल पहुंच गए। चेरापूंजी में तो लगभग हर रोज बारिश होती ही है तो उस दिन भी झमाझम बारिश हो रही थी।जब पांचों बोतल स्टेशन से बाहर निकला तो एक बोतल बारिश में सराबोर हो गया उसे वहां के बारिश होने का पूरा एहसास हो रहा था और पूरा मजा भी आ रहा था परन्तु शेष चारों को कुछ भी नही बुझा रहा था और कह रहे थे कि यहाँ तो कुछ हो ही नही रहा है ,देखा खबर बिलकुल गलत था ,यहाँ आना हम सब का बेकार हो गया ।लेकिन जिस बोतल को एहसास हो रहा था उसने कहा नही यार यहाँ तो बहुत बारिश हो रही है,देखो मैं बारिश से बिलकुल तृप्त हो गया है,मैं तो धन्य हो गया यहाँ आकर।लेकिन अन्य चारों बोतल ये सब झूठ लग रहा था और उन सब ने वापस आने का निर्णय लिया ।तब फिर उस एक बोतल ने सबको समझाया कि जरूर तुमलोगों में कुछ ना कुछ गडबडी है। तुमलोगों को किसी डाक्टर के पास ले जाना पडेगा। सुना हैं यहाँ एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर हैं चलो उन्ही से दिखाते हैं कि आखिर इन चारों को बारिश का एहसास क्यों नही हो रहा है।
पांचों पहुंच गए डाक्टर के पास और अपनी पूरी कहानी बताया कि हमलोग बहुत दूर राजस्थान से चलकर आये हैं यहाँ ये देखने कि बारिश कैसा होता पर एक के सिवाय चार को बारिश का अनुभव ही नही हो रहा है।
डाक्टर साहब ने सबको बैठाया और एक-एक बोतल की जांच-पड़ताल की तो कहा कि बात तो सही है भाई ।बारिश तो हो रही हैं। किसको को बारिश की अनुभूति हो रही हैं और किसको नही इसके भी कारण का पता चल गया है। जल्दी बताइये डाक्टर साहब मुझे भी बारिश का अनुभव करना है-अन्य चारों ने एक स्वर में कहा।
जिस बोतल को बारिश का एहसास हो रहा था उसको पास बुलाया और सबको समझाया कि देखो इस बोतल को यह बिलकुल स्वच्छ हैं,इसके ढक्कन भी खुले हैं और ये पूरी तरह से खाली हैं और सीधे खड़े हैं इसलिए इसके अंदर बारिश की पानी सीधे जा रही हैं और जिससे बारिश की अनुभूति हो रही हैं और ये बारिश का आनन्द भी ले रहा है।
तब दुसरा बोतल सामने आया और कहा कि मेरे मे क्या दिक्कत है डाक्टर साहब,मैं क्यों नही बारिश का अनुभव कर पा रहा हूँ। तो डाक्टर ने देखा की वो तो उल्टा पड़ा है। उसे पकड़कर जैसे ही सीधा किया तो वो भी बारिश में सराबोर हो गया।
तब तीसरा बोतल सामने आया और कहा -मैं तो सीधे खड़ा हूं पर मुझे तो बारिश का अनुभव नही हो रहा है,कृपया मुझे बताइए मुझमें क्या दिक्कत है और उसको दूर कीजिए ताकी मैं भी बारिश का अनुभव करके तृप्त हो जाऊं।
डाक्टर ने उसको देखा और कहा तुम सीधे तो खड़े हो लेकिन तुम्हरा ढक्कन ही बंद इसलिए तुम्हें बारिश का अनुभव नही हो रहा है। डाक्टर ने जैसे ही उसका ढक्कन खोला वो भी बारिश में सराबोर हो गया और खुद को तृप्त महसूस करने लगा और चिल्लाने लगा कि सचमुच यहा बारिश हो रही है।
अब चौथे को तो रहा नही गया उसने भी डाक्टर से कहा कि मेरा तो ढक्कन खुला है और मैं सीधे भी खड़ा हूँ फिर भी मैं बारिश का अनुभव क्यों नही कर रहा हूँ। तो डाक्टर ने उसे पास बुलाया और देखकर बताया कि तुम सीधे भी खडे हो,ढक्कन भी खुला है फिर भी तुम्हें बारिश का एहसास नही हो रहा है क्योंकि तेरे अंदर तो मोबील भरा है ।डाक्टर साहब ने उसके अंदर से मोबील निकाला तो वो भी बारिश के धार से अभिभूत हो गया ।
अब तो पांचवां बारिश का अनुभव करने के लिए बेताब हो गया और उसने डाक्टर साहब से कहा कि मैं सीधा खड़ा हूँ,ढक्कन भी खुला है,मोबील भी नही भरा है तो मुझे बारिश क्या अनुभव क्यों नही हो रहा है।
डाक्टर ने उसे बड़े गौर से देखा तो पाया कि उसका पेंदी ही नही है। डाक्टर साहब ने उस बोतल में पेंदी लगाया तो वो भी बारिश का अनुभव करके तृप्त हो गया।
ये कहानी तो थी बोतल की परन्तु संसार में ऐसे ही पांच तरह के बोतल जैसे मनुष्य पाये जाते हैं जिसे धर्म-अधर्म आदि का ज्ञान नही होता है। कोई इर्ष्या रुपी मोबील से भरा हुआ है तो किसी को अज्ञानता का ढक्कन बंद है तो कोई बिलकुल आंख-कान बंद करने उल्टे पड़े हैं कोई सबकुछ ज्ञान धर्म संस्कार आदि का पेंदी ही उखाड़कर फेक दिया है। और इन सबको सही करने के लिए गुरु ही होते हैं ।जबतक मनुष्य गुरु के पास नही जाएंगे तबतक उसे ज्ञान का ,अपने जीवन का एहसास होगा ही नही ।
तो आप भी खुद को देखिये कि आप किस श्रेणी के बोतल हैं!!!
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स्वामी अनुरागानंद जी,”शिव आज भी गुरु हैं “