? मेघ मल्हार ?
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक ? अरुण अतृप्त
? मेघ मल्हार ?
पावस ऋतु नव
अंकुर प्रस्फुटित
धरती की हरियाली चूनर
बसन्त हो रहा
देख देख रोमांचित
ऋतुओं की रानी
सजी धजी
कर रही छप छप
मेघमल्हार में
प्राकृत छटा
अनुमोदित सी
बलि बलि जा रही
उसकी हर ताल में
छप छप छपा छप
छप छप छपा छप
घटा करे घन घन घना घन
चंचला गान में
वन में मयूर कूके
कोकिला की शान में
बसन्त हो रहा देख देख
रोमांचित
ऋतुओं की रानी
सजी धजी
कर रही छप छप
मेघमल्हार में ।।