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2 Jul 2022 · 1 min read

💐💐वासुदेव: सर्वम्💐💐

यः संसारस्य गुरु स्वयमेव प्रकटयति तु सः संसारस्य दास: भवति।यः स्वस्य गुरु।सः संसारस्य गुरु भवति।
संसारेण सह सम्बन्धस्य मान्यता।एतस्य मान्यतायाः नाशः पश्चात् बोधः भवति।बोधस्य पश्चात् “अहं अज्ञानी असीत्”।सम्प्रति ज्ञानं भवति स्म।यथा असीत् तथा भवति-एतस्य नामं स्मृति:।परमात्मा बीज:।संसार: शस्य:।’वासुदेव: सर्वंम्’यदि सर्वत्र पश्यति तु एषः स्मृति:।पूर्वापि परमात्मा असीत् पश्चातापि भविष्यति।तु मध्ये अन्य वस्तु कुतः उपस्थित: भवति? ज्ञानी पुरूषस्य कृते ‘वासुदेव: सर्वम्’।अज्ञानिनः कृते संसार:।गीताया: शुद्ध: ज्ञानं “वासुदेव: सर्वम्”।

©®अभिषेक:पाराशरः

Language: Sanskrit
1 Like · 313 Views
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