Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2022 · 4 min read

?माध्यम की महिमा ?

डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक : अरुण अतृप्त
लघु कथा
?माध्यम की महिमा?

ये स्वयं में एक प्रश्नवाचक अनुभव ही था कुछ अनबूझ कुछ अटपटा कुछ ज्ञान पूर्ण कुछ अनमना लेकिन था स्पष्ट दूध सा धुला बात कुछ अजीब सी थी । एक दिन सुंदर रूपवती एक कन्या ने एक माल में मुझसे ये प्रश्न कर दिया शायद वो किसी स्पॉन्सर के लिए कार्य कर रही होगी साक्षात सापेक्ष रूप में । लेकिन ये बात उसने मुझ पर एक दम से जाहिर न कर ऐसे दिखाया जैसे मुझ से आकर्षित हो कर ये विचार मेरी समझ को समझने के लिए ही उसने किया हो ।

अब आप इस वार्तालाप का आंनद लें न कि इस बात पर की उस रूपवती कन्या के माध्यम से मेरी किस्मत पर ।

हाँ तो उसने मुझे अपने व्यावसायिक सन्दर्भ के बाहुपाश में लेते हुए बात शुरू की :- हेलो सर आप कैसे हैं क्या आप कुछ देर मेरे साथ गुजारना चाहेंगे यही ख़ुशनुमा माहौल में लोगो की जिज्ञासु नज़रों का * माध्यम बनते हुए मेरे जैसी गर्लफ्रैंड की गलतफहमियां पाले हुए लोगो के बीच , इतना कह कर उसने एक मुक्त लेकिन सभ्यता भरी मुस्कान मुझ पर फेंकी साथ ही आस पास घूमते गुजरते लोगो पर : देखते हैं और नही भी देखते की जैसे कोई देखता न हो: मुझे कुछ भी अटपटा नही लगा क्योंकि में अपनी उम्र के उस दौर में था जिसमें इंसान खास तौर पर एक पुरुष इस बात का वरदान प्राप्त किया हो ता है कि ऐसे मौके पर आसानी से मार्यदा में रहते हुए उनका आनन्द ले सकता है और स्थिति बिगड़ जाए तो बच के निकल सकता है ।

हाँ तो उस कन्या ने जो षोडशी तो नही लेकिन तत्सम कामुक व अल्हड़ दोनो खूबियों से लवरेज तो थी ही ।

काव्यात्मक स्वरूप में एक स्त्री का षोडशी होना सिर्फ एकीकृत परिप्रेक्ष्य की परिपक्वता का परिचालन करने के लिए वरदान साबित होता है चाहे वो फ़िर किस

भी उम्र में पदार्पण कर चुकी हो ।

तो मैं उसके इस ऑफर को कैसे अस्वीकार कर सकता था।

मैंने सभ्यता से उस ऑफर को स्वीकार किया व बोला : – बोलिये , आपके पास मुझ जैसे उम्र के आदमी से प्रश्न करने या मुखातिब होने की कोई विशेष वजह रही होगी मैं आपका आदर करता हूँ ।

वो अत्यधिक कॉन्फिडेंट थी उसका एक एक अंग जैसे मुझ से ही बात कर रहा हो मतलब सम्पूर्ण मासूमियत समेटे बोली तो हम चलते चलते बात करेंगे और इस बात की सारी रिकॉर्डिंग मेरे सहयोगी आपकी अनुमति से लेकिन अपरोक्ष रूप से करते रहेंगे हम बाद में आपको वो रेकार्डिंग दिखा कर आपकी अनुमति देने पर ही प्रकाशित करेंगे ।

ऐसा हम प्रोफेशनल कारणों से व व्यावसायिक साझेदारियां के अनुरूप करते हैं आपकी सुबिधा के अनुसार ।

तो उसने मेरे कंधे पर हल्का सा पैट किया अर्थात मुझे सहज मित्रवत व्यवहार से जाग्रत करने की चेष्टा में व मेरे वामांग से सटते हुए बोली । तैयार । मैंने सहज भाव से स्वीकार कर उसकी इस क्रिया पर कोई प्रतिक्रिया सापेक्ष में न देते हुए मात्र वात्सल्यमयी मुस्कान से उसका सहयोग किया । तुरंत उसने मुझे इसका उत्तर भी दिया अपनी ललक से पब्लिक को हाथ के इशारे से हटाते हुए।

फिर उसने प्रश्न किया: मान्यवर क्या आप माध्यम की महिमा को वरीयता देते हैं मैंने उसके प्रश्न को समझते हुए एक विशेष मुद्रा में उसकी तरफ गौर से देखते हुए व मृदुल मुस्कान बिखेरते हुए कहा यस , बिना माध्यम के इस संसार में जीवन यापन दुर्लभ होगा माध्यम की महत्ता उसी प्रकार महत्वपूर्ण है जैसे मेरे लिए औषयुक्त वायुमंडल व मत्स्य के लिए औषयुक्त जल । नर आत्मा के लिए स्त्री आत्मा लेकिन शरीर में व प्रभु के लिए जीव और जीव के लिए प्रभु । माध्यम की अनुपस्थिति में सब कुछ निष्प्राण निष्प्रभावी व निरपेक्ष हो जाएगा ।
और और आपके बिना हम और हमारे बिना आप कहते हुए मैने हल्का सा उसे ठेला और तुरंत उसका उत्तर भी उसी वजन के साथ प्रतिरूपण हुआ। शरारती चिहुँक के साथ।
मेरे उत्तर को सुन कर वो सजल नेत्रों से मुझे देखती रही कुछ पल ऐसे ही निकल गए बोली आप मेरे लिए महज एक माध्यम थे मेरे व्यवसायिक परिप्रेक्ष्य के जो मैं पिछले 4 साल से सतत ऐसे ही निबाह रही हूँ उन सभी प्रक्रिया में मैं दिखाती तो सहज हूँ अपने आपको लेकिन यकीन मानिए कभी सहज न हो पाई क्योंकि लोग मेरे से ऐसे चिपकते है जैसे स्त्री सिर्फ उनके योनोउत्सर्ग का माध्यम है ।
किन्तु आज प्रथम दृष्टया व प्राथमिक भाव से मुझे एक उत्तम पौरष के तात्विक अर्थ का ज्ञान व सहचर्य मिला आपके उत्तर से मेरे व्यवसायकि परिवेश को एक नई अनुभूति ममत्व व वात्सल्य की गरिमा का एहसास हुआ ।
धन्यवाद।
हवा में मौन था समस्त प्राणी जन चुपचाप थे प्रभु की प्रभुता की भीनी भीनी महक हम दोनों को आ रही थी
स्पष्ट था हम दोनों उस परमपिता की मौजूदगी अपने आप में महसूस कर रहे थे । और वो माध्यम बना हमारी भावनाओं को बिना बोले एक दूसरे तक पहुंचा रहा था ।।

Language: Hindi
213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
Loading...