भँवरा-मुक्तक माला
(1)
गुन-गुन करता आया भँवरा।
फूल-फूल मँडराया भँवरा।
बाग-बाग में घूम-घूम कर-
प्रीत का गीत सुनाया भँवरा।
(2)
बंद कली को खिलाया भँवरा।
पुष्प – पराग बिखराया भँवरा।
ये निर्मोही, रसों का लोभी-
दर्द दिलों का बढ़ाया भँवरा।
(3)
दूर देश से आया भँवरा।
द्वारे अलख जगाया भँवरा।
मन का उजला,तन का काला-
रूप अनोखा पाया भँवरा।
(4)
हर फूल पर लुभाया भँवरा।
बाँहों में लिपटाया भँवरा।
बंद फूल की पंखुड़ियों में-
सारी रात बिताया भँवरा।
???—लक्ष्मी सिंह ?☺