【1】 !*! मन चंगा !*!
एक गाँव में चंदन नाम का व्यक्ति रहता था। वह हट्टा – कट्टा और जवान था। चंदन का स्वभाव सबका भला चाहने वाला एवं परोपकारी था। गाँव के सभी लोग चंदन को पसंद करते थे। धीरे धीरे चंदन की ख्याति बढ़ने लगी।ना केवल चंदन के गाँव में बल्कि दूर – दराज के गाँव में भी चंदन को जानने पहचानने लगे। एक दिन दूर के गाँव से एक नाई निमंत्रण पत्र लेकर के चंदन के गांव आया। दूर के गांव से आए नाईं ने गाँव के मुख्य व्यक्तियों को इकट्ठा किया और अपने गाँव के मुखिया के निमंत्रण पत्र को गाँव के व्यक्तियों को सुनाया। निमंत्रण पत्र में लिखा था, की नगर में एक बड़े बगीचे का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें सभी गाँव के लोग बिना रोक-टोक के आ जा सकते हैं। शर्त के अनुसार जो भी युवा बगीचे के निर्माण कार्य में पूर्ण लगन और मेहनत से काम करेगा। उसके लिए विशेष इनाम प्रदान किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक गाँव से 10 से 15 मेहनती और सुशील युवाओं को बुलाया जा रहा है।
बुलाए गए सभी युवाओं में से किसी एक युवा को विशेष और महत्वपूर्ण उपहार प्रदान किया जाएगा। नाई से पूछा गया की विशेष उपहार क्या है। नाई ने नाई ने बताया कि विशेष उपहार क्या है, इसका तो मुझे भी पता नहीं है। इस तरह से दूसरे दिन गाँव के कुछ बुजुर्ग और गाँव के 10 – 15 युवा दूर के गाँव जाने के लिए तैयार हुए। कुछ समय बाद बुजुर्ग और युवा दूर गाँव के मुखिया के घर पहुँच गए। मुखिया जी ने बड़े प्रेम और सौहार्द के साथ सभी का सम्मान किया और उच्च आसन दिए। जब सभी गाँव से बुजुर्ग तथा युवा व्यक्ति आ गए तो बाद में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया। सभा में एक विशाल बगीचे के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया साथ ही कहा गया। सभी आए हुए नवयुवक महानुभावों में से किसी एक को इस बगीचे में काम करने के दौरान चुना जाएगा। और उसको विशेष इनाम प्रदान किया जाएगा। बगीचे के निर्माण कार्य के दौरान रुकने वाले सभी व्यक्तियों के लिए रहने – खाने की व्यवस्था हमारे अतिथि गृह मैं की गई है। तथा जो भी व्यक्ति अपनी इच्छा से 1 दिन 2 दिन ठहरना चाहता है, वह ठहर सकता है। जो जाना चाहता है, वह जा सकता है। फिर क्या था दूसरे दिन से काम प्रारंभ हो गया चंदन भी उन सभी में से एक था, जो काम कर रहा था। तीसरे ही दिन चंदन के गाँव वाले बुजुर्ग तथा चंदन के गांव के युवाओं ने जवाब दे दिया और चंदन से कहा कि हमारे गांव की तरफ से तुम ही बगीचे के निर्माण मैं सहयोग करो। तो चंदन ने कहा जी ठीक है। चंदन ने कहा कि जाते-जाते गाँव के मुखिया जी से अनुमति जरूर ले लेना। बुजुर्ग और युवा मुखिया जी से अनुमति लेने के तहत भोजन करके वहाँ से अपने गाँव के लिए रवाना हुए। चंदन के मन में केवल एक ही बात चल रही थी, कि सदियों तक उसे अच्छे भले कार्य के लिए याद किया जाएगा। इसलिए और सभी युवा तो बगीचे में 7 से 8 घंटे काम करते हैं, जबकि चंदन 10 से 12 घंटे काम करता। और नई-नई योजनायें बनाता, जिससे बगीचा सुंदर और ज्यादा से ज्यादा लुभावना बने। परिश्रम करते करते 10 से 15 दिन में बगीचे का निर्माण कार्य समाप्त हुआ समाप्त के अगले ही दिन सभी गाँव में निमंत्रण पत्र उन्हें भेजे गए। सभी गाँव से तमाम युवा और बुजुर्ग एवं चंदन के घर वाले भी आए। 10:00 से 12:00 के बीच सभा की कार्यप्रणाली प्रारंभ हुई। हजारों युवाओं को 10 से 15 दिन बगीचे के निर्माण कार्य में हाथ बढ़ाने के लिए अलग आसन दिये गये। और कहा गया कि इन सभी युवाओं में से ही एक युवा ऐसा है, जो उस विशेष नाम को लेने का हकदार है। बस फिर क्या था, हजारों युवाओं के चेहरे पर मानों खुशी की लहर दौड़ गई हो। लेकिन उनमें से एक शख्स ऐसा भी था, ख्यालों में डूबा हुआ था। और वह था चंदन। जिसके मन में एक ही बात चल रही थी कि हे भगवान ये अच्छा काम तो अच्छी तरह से पूरा हो गया। मेरी प्रार्थना है, और भी भले काम भगवान मुझे प्रदान करें। मैं आपका आभारी रहूंगा। चंदन के चेहरे पर इनाम प्राप्त करने का लेश मात्र भी लालच नहीं था।
सभी सभा में बैठे हुए बुजुर्ग, औरत, बच्चे और युवा यही इंतजार कर रहे थे कि आखिर विशेष इनाम प्राप्त करने का पात्र है कौन ? सब हमें बैठे सभी महानुभाव इंतजार कर रहे थे। सहमा सा चंदन सबसे पीछे बैठा था। और इसी ख्याल में खोया खोया हुआ था कि अगला भला काम भगवान मुझे क्या देगें। बस फिर क्या था चंदन का नाम उच्चारण हुआ, जैसे चंदन का नाम उच्चारण हुआ चंदन के गांव के खुशी के मारे उछल पड़े और कहा सही और सच्चे इंसान के लिए विशेष इनाम प्रदान किया जाएगा भगवान।तेरा सच्चा न्याय है, जो तूने सच्चे व्यक्ति के पक्ष में किया है। पूरी सभा में हर एक के मन में एक ही सवाल था, कि आखिर वह सच्चा इंसान कौन है। वह सच्चा इंसान चंदन आखिर कोन है। सभी ने इधर उधर नजर फैलाई लेकिन पूरी सभा में कोई भी खड़ा हुआ नजर नहीं आया क्योंकि चंदन सभी से पीछे इसी सोच में डूबा हुआ था कि भगवान अगला अच्छा काम कौन सा करने के लिए देगें। तभी ऐसी सोच में डूबे चंदन को कुछ युवाओं ने चंदन को घेर लिया चंदन को महसूस हुआ जैसे कि उसके इर्द – गिर्द अंधेरा सा छा गया हो। जैसे ही उसने ऊपर नजरें उठाकर देखी तो देखा कि कई युवा उसके चारों तरफ खड़े पाया। चारों तरफ चंदन की जय जयकार होने लगी। चंदन को कहा गया की अब तुम्हारा विशेष इनाम प्राप्त करने का समय आ गया है। चंदन को खड़े चारों तरफ युवाओं ने चंदन को खड़ा किया और कहा कि आपको मुखिया जी ने उच्च स्थान पर बुलाया है। चंदन हिचकी चाते और सकपकाते हुए उच्च स्थान की ओर युवाओं के साथ बढ़ने लगे चारों तरफ तालियाँ बजने लगी। चंदन की जय जयकार होने लगी। चंदन समझ नहीं पा रहा था, कि ऐसा मैंने क्या कर दिया है कि मेरी इतनी जय जयकार हो रही है। चंदन को उचित स्थान पर ले जाया गया मुखिया जी ने चंदन के दिए जाने वाले उपहार को बताते हुए कहा, कि वह विशेष उपहार और कुछ नहीं मेरी सुंदर सुशील शिक्षित पुत्री है। जिसके लिए मुझे एक वर की तलाश थी। जो मेहनती, ईमानदार और व्यवहार शील वर इच्छा थी।जो इस मेहनती और कुशल युवा के मिलने साथ ही पूरी हो गई ।साथ ही मुखिया जी ने कहा कि मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ, की मैंने इसी युवा को ही क्यों चुना? क्योंकि मैंने अक्सर देखा है कि चंदन ने जिस लगन और मेहनत से इस बगीचे में परिश्रम किया है वह अकथनीय है। मैंने कई बार इन से मिल कर पूछा कि आखिर आप इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं? तो इनका जवाब यही था कि श्रीमान जी मेरा मानना है कि जब बात निस्वार्थ भाव से काम करने की आती है तो उसमें इंसान को अपने निजी कार्यों से दोगुना समय देना चाहिए। इसलिए मैं मेरे गांव में 6 से 7 घंटे काम करता हूँ। जो कि मेरा निजी स्वार्थ है। लेकिन यहाँ में निःस्वार्थ भाव से किए गए काम को सदियों तक याद किया जाएगा।
तथा मेरे द्वारा किए गए काम से सदियों तक लोगों को सुख पहुंचेगा। इसी वजह से मैंने मेरे मन में आलस को कभी भी घर नहीं करने दिया। मुखिया जी ऐसा बोलते हुए चंदन के बारे में बता रहे थे कि जो निस्वार्थ भाव से सभी के भले की सोचने वाला व्यक्ति हो संसार में उससे अच्छा वर मेरी पुत्री के लिए कोई हो ही नहीं सकता। तथा इस बगीचे का जो भी निर्माण कार्य किया है यह वह इसलिए किया गया है जिससे कि मैं अपनी पुत्री के लिए एक अच्छावर चुन सकूं। आगे बढ़ते हुए मुखिया जी ने चंदन से पूछा कि आप मेरी पुत्री का हाथ थामने के लिए तैयार हैं। चंदन ने जवाब दिया देखिये मुखिया जी इसमें मैं आपको कोई राय नहीं दे सकता मेरी हाँ और ना यदि आपको जानना नहीं है तो मेरे गाँव के आए हुए सभी बुजुर्ग एवं मेरे परिवार वालों से पूछ लीजिए। उनकी जैसी आज्ञा होगी वह मुझे शिरोधार्य होगी। इस प्रकार से चंदन का विवाह
उसके गाँव एवं परिवार वालों ने स्वीकार कर लिया। साथ में ही मुखिया जी ने बताया कि चंदन और उसकी पत्नी के लिए अर्थात मेरी बेटी के लिए मैंने सुंदर सा एक बगीचे की तरफ घर बनाया है। मैं चंदन के गांव वाले एवं उसके घर वालों से विनम्र निवेदन करता हूंँ। इस बगीचे की रक्षा का कार्यभार मैं चंदन के कंधों पर ही सौंपना चाहता हूँ। क्योंकि चंदन से अच्छी देखरेख इस बगीचे की मेरी नजर में और कोई नहीं कर सकता। अंततः मुखिया की पुत्री से चंदन का विवाह संपन्न हुआ। इसलिए कहा गया है की मन चंगा तो खटोटी में गंगा। चंदन के किए गए कार्यों को सदियों तक याद रखा गया।
Arise DGRJ { Khaimsingh Saini }
M.A, B.,Ed from University of Rajasthan
Mob. 9366034599