【【◆◆मजबूर मोहब्बत◆◆】】
#Sard_subh_ki_mulakat
लेखक –अमनदीप सिंह?
?((((((((((मजबूर मोहब्बत))))))))))?
उस सर्द सुबह को उसने मिलने बुलाया था,
और अपने दिल का हाल सुनाया था.
होगयी थी तय उसकी शादी,,मेरी दी निशानियों
को उसने रोते रोते मेरे हाथ में थमाया था.
कहानी प्यार की वहीं खत्म हो गई,,जहाँ पहली
बार उसको मिलने आया था.
सजाया था जो मैदान हसीन खयालों से,,वहां खेल
तक़दीर ने,उम्मीदें मेरी को ज़िन्दा जलाया था.
मत पूछो क्या हाल था हमारा,,आँख से अश्क बहते
रहे,जब आखरी बार एक दूसरे को गले लगाया था.
मजबूर मोहब्बत के क्या कहने,,घर की इज्जत की
खातिर उसने मोहब्बत का सर खुद कटवाया था.
था दर्द उसको भी बहुत,,वो तब भी मेरी थी वो अब
भी मेरी थी,सिर्फ जिस्म हो चुका पराया था.
दो दिलों की तड़प कौन समझता,,ज़माने की बंदिशों
ने आज आँखों को दर्द में डुबाया था.
बारिश होती तो थम के रुक भी जाती,,पर सैलाब से
बचना ना हमको किसी ने सिखाया था.
वो चलदी दो कदम पीछे खींच कर,,जुदाई का दर्द
क्या है होता,वो मुड़ के देखी तो लगा जैसे जुदा हुआ
जिस्म से रूह का साया था।
क्या कहने बेबसी के सब रुक गया,,करोड़ों का महल
आज एक तिनके ने उड़ाया था.
पराई चीज़ हमेशा पराई ही रहती है,,मोल चाहे मोहब्बत
के लिए कितना भी चुकाया था.
दो दिल एक जान थे जो,,एक तरफा किरदार आज मैंने
भी उस से दूर होकर निभाया था.
दुश्मन ज़माना तब भी था आज भी है मेरा,,पहले मेरी
मोहब्बत भी मिटाई,आज मेरे लिखने पे भी सवाल
उठाया था.
ये वक़्त भी बड़ा दगाबाज निकला तक़दीर के जैसे,,कल
तो कहता रहा में तेरा हूं,आज वक़्त आया तो ये वक़्त
भी पराया था।
✍️aman?