【【{{{{गुलाल}}}}】】
मेरे मुक़द्दर पर नही जोर किस्मत का,
आसमान गुलाम कर रखा है.
दुनिया के आगे झुकने वाले और होंगे,
हमने तो आग को भी लाल कर रखा है।
हम वतन पर मिटने वाले आशिक़ है,
खून को भी गुलाल कर रखा है.
ये नाम बोलता है अब महफिलों में दिन रात,
मेरी कलम ने अपना हुनर वक़्त के सीने पर
जलाल कर रखा है।