【【{{करवट}}】】
ये दिल मेरा घबराया क्यों है,
वो ख्वाब मे मेरे आया क्यों है.
बरसों बाद ये कैसी मुलाक़ात,
ये रात को मुझे जगाया क्यों है।
खामोशी थी एक मेरे दिल में,
फिरसे उसने गाया क्यों है।
कैसे मैं संभालूं खुद को,
वही प्रेम गीत सुनाया क्यों है।
हस्ती खेलती मेरी ज़िंदगी,
आज फिर मुझे रुलाया क्यों है.
ज़हर जुदाई का एक बार पिलाकर,
दोबारा दर्द-ए-जाम पिलाया क्यों है।
वक़्त ने ली ये कैसी करवट,
फिर वही याद से मिलाया क्यों है।
ठोकर मार फेंकी थी एक दिन मेरी मोहब्बत
जिसने,,उसने फिर हक़ मुझपर जताया क्यों है।
ये खेल खुदा का है या चाल उसी की,
इस ज़िंदा रूह को दोबारा जलाया क्यों है।