Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2024 · 1 min read

❤️🖤🖤🖤❤

❤️🖤🖤🖤❤
पहचान हजारो रिश्ते बना देती है,
और मुस्कान हजारो गम भुला देती हे
जिन्दगी के सफर मे संभल कर चलना मेरे दोस्तो
गलतफहमी हजारो सपने जला देती है
!__________¡

84 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
देश चलता नहीं,
देश चलता नहीं,
नेताम आर सी
"मेरे देश की मिट्टी "
Pushpraj Anant
प्रेम : तेरे तालाश में....!
प्रेम : तेरे तालाश में....!
VEDANTA PATEL
देखा
देखा
sushil sarna
Rainbow on my window!
Rainbow on my window!
Rachana
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* जगो उमंग में *
* जगो उमंग में *
surenderpal vaidya
परिवर्तन का मार्ग ही सार्थक होगा, प्रतिशोध में तो ऊर्जा कठोर
परिवर्तन का मार्ग ही सार्थक होगा, प्रतिशोध में तो ऊर्जा कठोर
Ravikesh Jha
गहरे जख्म
गहरे जख्म
Ram Krishan Rastogi
कलयुग में कुरुक्षेत्र लडों को
कलयुग में कुरुक्षेत्र लडों को
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
*भक्ति के दोहे*
*भक्ति के दोहे*
Ravi Prakash
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
मैं तो निकला था चाहतों का कारवां लेकर
मैं तो निकला था चाहतों का कारवां लेकर
VINOD CHAUHAN
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
लक्की सिंह चौहान
अकेलापन
अकेलापन
भरत कुमार सोलंकी
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
Rituraj shivem verma
दुखों का भार
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते
Ranjeet kumar patre
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
तय
तय
Ajay Mishra
फकीर
फकीर
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क की अब तलक खुमारी है
इश्क की अब तलक खुमारी है
Dr Archana Gupta
■ मिथक के विरुद्ध मेरी सोच :-
■ मिथक के विरुद्ध मेरी सोच :-
*प्रणय*
राष्ट्रीय किसान दिवस : भारतीय किसान
राष्ट्रीय किसान दिवस : भारतीय किसान
Satish Srijan
रामचरितमानस
रामचरितमानस
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
Neelofar Khan
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
Guru Mishra
नहीं कोई धरम उनका
नहीं कोई धरम उनका
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
3109.*पूर्णिका*
3109.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...