✍🏻 ■ रसमय दोहे…【रस परिभाषा】
✍🏻 ■ रसमय दोहे…
【प्रणय प्रभात】
✍🏻 श्रृंगार रस
“मिलन-विरह दो पक्ष जो करता है साकार।
नव-रस का सिरमौर रस कहलाता श्रृंगार।।”
✍🏻 वीर रस
“रग-रग में भर दामिनी जो कर दे रणधीर।
परिपूरित उत्साह से कहलाता रस वीर।।”
✍🏻 करुण रस
“दया भाव पैदा करे, हृदय जगा दे पीर।
वही करुण रस जो करे विचलित और अधीर।।”
✍🏻 वात्सल्य रस
“कर्म वचन मन में सहज ममता जाए जाग।
वात्सल्य है रस वही जो भर दे अनुराग।।
✍🏻 वीभत्स रस
“भावों में भर दे घृणा कर दे चैन हराम।
उस रस को वीभत्स का दिया गया है नाम।।”
✍🏻 रौद्र रस
“करे रुद्र सा क्रुद्ध जो नयन भरे अंगार।
रस विराट है रौद्र रस महिमा अपरंपार।।”
✍🏻 हास्य रस
“तन-मन दोनों को करे मस्ती से भरपूर।
सरस बहुत है हास्य-रस हर चिंता से दूर।।”
✍🏻 अद्भुत रस
“जो अचरज में डाल दे मानस करे विहंग।
अद्भुत रस कहते उसे जिसका अद्भुत रंग।।”
✍🏻 भयानक रस
“भय से भर दे आत्मा कम्पित करे शरीर।
वही भयानक रस समझ जो कर देत अधीर।।”
✍🏻 शांत रस
“मन-वाणी शीतल करे, नष्ट करे हर क्लांत।
अस्थिर चित स्थिर करे बस वो रस है शांत।।”
✍🏻: भक्ति रस
श्रद्धामय मन को करे दे प्रभु पथ पर मोड़।
उसे कहेंगे भक्ति-रस हम दोनों कर जोड़।।”
कृपया याद रखें। साहित्य के रस पहले 9 ही थे। जिनमें शांत रस को 10वें रस के रूप में जोड़ दिया गया। पता चला है कि इसी क्रम में 11वें रस के रूप में भक्ति रस को भी मान्य कर लिया गया है। आशा है, रसों की पहचान और विशेषता बताने वाले उक्त दोहे उच्च व उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के विद्यार्थियोँ के लिए रोचक, पठनीय, स्मरणीय, संग्रहणीय व उपयोगी सिद्ध होंगे।।