जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
बस! नामी रिश्ता दोस्ती का
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जबकि मैं लोगों को सिखाता हूँ जीना
ममता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
गाँधी के उपदेश को, कब समझेंगे लोग ।
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
. क्यूँ लोगों से सुनने की चाह में अपना वक़्त गवाएं बैठे हो !!
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।