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14 Jun 2022 · 1 min read

✍️✍️तो सूर्य✍️✍️

✍️✍️तो सूर्य✍️✍️
………………………………………..//
तो सूर्य
माथ्यावर,
अन धगधगला
अंतरीचा जाळ,
ती युगाची पिळ
राख झाली…!

तो सूर्य
जात्यावर,
अन भरडला
जातिप्रथेचा जोंधळा
माणुस कसा आंधळा
मुका जगला…!

तो सूर्य
हातावर,
अन प्रकाशला
मनाचा अंधार
धम्माचा आधार
आता पदोपदी…!

तो सूर्य
गावशिवेवर,
अन उजडल्या
लख्ख चहुदिशा
बदलली दुर्दशा
मानवतेनी…!
……………………………………..//
✍️”अशांत”शेखर✍️
14/06/2022

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