✍️शर्तो के गुलदस्ते✍️
✍️शर्तो के गुलदस्ते✍️
……………………………………………//
वो मिले वादों
की सरहद पर
हम मिले अपने
दिल की हद पर
शर्तो के गुलदस्ते में
सजाये फूल जरा कम
ही मुस्कराते नजर आये…
वो वादा निभाने का जैसे
खुदगर्ज़ फर्मान छोड़ गए थे।
और फ़िजूल शर्तो
का हम एहसान मान रहे थे।
पर शर्त ये थी
जहां आसमाँ
ज़मी से मिलता है
वही से साथ चलने की ।
अगर ये नामुमकिन हुवा
तो फिर तेरे यादों के
तस्वीरों में बने रहने की।
झूठे वादे,शातिर शर्तो पे
जिंदगी मजार हो गयी ।
यूँही कम्बख़्त इश्क़ में
जिंदगी तन्हा बेजार हो गयी।
……………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
10/07/2022