✍️वो मुर्दा ही जीकर गये✍️
✍️वो मुर्दा ही जीकर गये✍️
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जो अपने ही हक़ के लिए लड़ने से मुकर गये
उनके वजूद भी बेशर्मी से सर झुकाकर गये
जीते जी जो जुबाँ पे ताले लगाकर खामोश थे
लोग तो उनकी भी कब्र जमी पे खुदवाकर गये
यहाँ हुए हादसों के कितने लोग गवाह रहे होंगे
जो बोलने में काबिल मुँह थे वो छालों से भर गये
ये मौत का डर भी कितना ख़ौफनाक होता है
बढ़ती उम्र के लोग भी अपना नाम छुपाकर गये
हम सबके अंदर एक शख्स मरा पड़ा जी रहा है
जिनकी सदियां नींद में थी वो मुर्दा ही जीकर गये
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✍️©’अशांत’ शेखर✍️
29/08/2022