✍️रात का माहौल✍️
आज रात बहुत घनी लग रही है,
चारों तरफ निस्तबता मानो सब कहीं चले गए हो,
इस सन्नाटे मे सिर्फ़ एक आवाज़,
पत्तों के टकराने की,
हवा की गति तेज है मानो कैद से मुक्त हो आयी हो,
चंचलता ऐसी की सब बहा ले जाये,
वृक्षों में भी खुशी की लहर है,
पर रात खामोश है,
उसका अंधकार उसे मुस्कुराने नहीं दे रहा,
रात अब भी खामोश है,
न जाने क्यों…..
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी