✍️ये जिंदगी कैसे नजर आती है✍️
✍️ये जिंदगी कैसे नजर आती है✍️
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ये जिंदगी हँसते चेहरे पे मालूम नहीं कैसे नजर आती है
आईना देखा तो ये उदासी के मातम में ही नजर आती है
कोई ख़ुशी का लम्हा देर तक आँखों में ठहरता ही नहीं
ये जिंदगी तेज रफ़्तार सी जल्दबाज़ी में ही नजर आती है
हर ख़ुश्क मौसम इन दरख़्तों की नमी क्यूँ छीन लेता है
ये जिंदगी बहते अश्क़ के हर कतरे में ही नजर आती है
ख्वाईशो की लंबी दुरी तय करने में उम्र भी थक गयी है
ये जिंदगी सफर में पड़े पाँव के छालों में नजर आती है
बदलते रुत में कुदरत भी कही सुहाने नजारे दिखाती है
ये जिंदगी मगर छाँव कम कड़ी धुप में ही नजर आती है
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©✍️’अशांत’ शेखर ✍️
02/08/2022