✍️मेरा हमशक्ल है ✍️
✍️मेरा हमशक्ल है ✍️
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नजाने क्यूँ वो एक चेहरा नज़र से उतरता नहीं
किसी सूरत में वो खुद के नज़र से गिरता नहीं
वो सच्चाई से मुँह मोड़कर रास्ता बदल लेता है
अपने ख़ुद्दारी से भी कोई सरोकार रखता नहीं
दुनिया की मसाफत दिल के चश्म से करता है
वो तन्हा होकर भी खुद से कभी मिलता नहीं
वो ऊँचे पहाड़ की खामोशियाँ महसूस करता है
उसकी गहरी खुदाई के ज़ख्म मगर देखता नहीं
‘अशांत’ उस शख्स को मैं बख़ूबी से जानता हूँ
हाँ मेरा हमशक्ल है वो मुझ से जुदा रहता नहीं
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
09/08/2022