✍️नियत में जा’ल रहा✍️
✍️नियत में जा’ल रहा✍️
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ये कैसा इँसा है अंधे स्वार्थ में ईश्वर बदल रहा
इँसा की सरकशी से खुद खुदा भी बदल रहा
हमने इंसान में उस आदिल खुदा को देखा है
ऐसे खुदाओ का इंसान को कहाँ ख़याल रहा
अब्तर इंसानियत के लिये आजिम लड़ते रहे
उनके सोच का इँसा पर अमलन जलाल रहा
यहाँ इँसा तो अमरत्व प्राप्त करने के जिद में है
औरो को ज़हर पिलाने का उसे ना मलाल रहा
ये बुद्ध कबीर वाणी आदमियत की धरोहर रही
‘अशांत’ जुबाँ तो मिठी रही नियत में जा’ल रहा
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✍️”अशांत”शेखर✍️
16/07/2022,
*सरकशी-दुष्टता
*आदिल-सच्चा नेक
*अब्तर = नष्ट,बिखारा हुआ, मूल्यहीन
*आज़िम -दृढ़ता, सुनिश्चित
*अमलन – यथार्थ में, सच में, सत्यता पूर्वक
*जलाल – प्रताप, तेज, विशालता
*मलाल-पश्चाताप,रंज
*जा’ल = नकली