✍️झूठ और सच✍️
✍️झूठ और सच✍️
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सौ झूठ क्यूँ ना हो,सफाई से बोला जाता
वो बर्दाश्त भी होता,हज़म भी हो जाता
एक सच है जो सरेआम तमाशा बन जाता…
ना बर्दाश्त होता,हाज़मा भी बिगाड़ देता…
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✍️”अशांत”शेखर✍️
30/06/2022