✍️जर्रे में रह जाऊँगा✍️
✍️जर्रे में रह जाऊँगा✍️
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मैं इसी कुदरत का बीज हूँ
तेज धारा बहा नही सकती
मुझे ज्यादा जल से सिंचोगे
तरुवर विशाल बन जाऊँगा
वो आदम है मुझ पे खंजर
चलाने की साजिश कर रहा
मैं भी इसी मिट्टी का खून हूँ
मरकर जर्रे जर्रे में रह जाऊँगा
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©✍️”अशांत”शेखर✍️
27/07/2022