✍️जरूरत है तुम्हारी ✍️
काश मेरी एक आवाज़ पर तुम दौड़े चले आते,
सच आज बहुत जरूरत है तुम्हारी,
काश मेरे जख्मों पर तुम मरहम लगाते,
सच आज बहुत जरूरत है तुम्हारी।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी
काश मेरी एक आवाज़ पर तुम दौड़े चले आते,
सच आज बहुत जरूरत है तुम्हारी,
काश मेरे जख्मों पर तुम मरहम लगाते,
सच आज बहुत जरूरत है तुम्हारी।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी