Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2022 · 1 min read

✍️जमाना नहीं रहा…✍️

✍️जमाना नहीं रहा…✍️
……………………………………………//
साथ किसीके दर्द खुशियाँ
बाटने का जमाना नहीं रहा ।

डाकियों के हाथ से खत
पहुँचाने का जमाना नहीं रहा ।

समझौते की यहाँ जिंदगी
समझने का जमाना नहीं रहा ।

मेरा मैं तेरा तू सिर्फ खुदगर्ज़ी
अपनाने का जमाना नहीं रहा ।

चंद उलझने है रिश्तों की…
सुलझाने का जमाना नहीं रहा ।

आँखे देखती उजड़े मकानो को…
संवारने का जमाना नहीं रहा।

रूठकर दूर चले जाये कोई…
मनाने का जमाना नहीं रहा।

दिल से दिल के कितने फासले,
मिटाने का जमाना नहीं रहा ।

अब वो मैक़दे में खड़े ही पीते है
बैठने का जमाना नहीं रहा।
…………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
17/06/2022

3 Likes · 4 Comments · 192 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"मन की खुशी "
DrLakshman Jha Parimal
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
पंकज परिंदा
जिनके घर खुद घास फूंस के बने हो वो दूसरे के घर में माचिस नही
जिनके घर खुद घास फूंस के बने हो वो दूसरे के घर में माचिस नही
Rj Anand Prajapati
जय माता दी 🙏🚩
जय माता दी 🙏🚩
Neeraj Agarwal
इंसान
इंसान
Bodhisatva kastooriya
तुम रूबरू भी
तुम रूबरू भी
हिमांशु Kulshrestha
सरसी छन्द
सरसी छन्द
Dr.Pratibha Prakash
एक बाप ने शादी में अपनी बेटी दे दी
एक बाप ने शादी में अपनी बेटी दे दी
शेखर सिंह
"दौर गर्दिश का"
Dr. Kishan tandon kranti
गजब है उनकी सादगी
गजब है उनकी सादगी
sushil sarna
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
*बाल काले न करने के फायदे(हास्य व्यंग्य)*
*बाल काले न करने के फायदे(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
मां
मां
Arghyadeep Chakraborty
..
..
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
gurudeenverma198
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
Anand Kumar
बहु घर की लक्ष्मी
बहु घर की लक्ष्मी
जय लगन कुमार हैप्पी
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
सब्र का बांँध यदि टूट गया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
सुख ,सौभाग्य और समृद्धि का पावन त्योहार
सुख ,सौभाग्य और समृद्धि का पावन त्योहार
Seema gupta,Alwar
ये नोनी के दाई
ये नोनी के दाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"Life has taken so much from me that I'm no longer afraid. E
पूर्वार्थ
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
जब काम किसी का बिगड़ता है
जब काम किसी का बिगड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
4916.*पूर्णिका*
4916.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
Sushila joshi
Loading...