✍️चेहरा-ए-नक़्श✍️
✍️चेहरा-ए-नक़्श✍️
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तन्हाई में इँसा खुदको खुद ही ढूँढ लेता है
ख़ुशी मिले ना मिले गम में भी जी लेता है
मुस्कान ओठों पे कितनी भी लुभावनी हो
ये चेहरा भीतर छुपे दर्द बयां कर ही देता है
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©✍️”अशांत”शेखर✍️
30/07/2022