✍️गुलिस्ताँ सरज़मी के बंदिश में है✍️
✍️गुलिस्ताँ सरज़मी के बंदिश में है✍️
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उनके जरासी बात पे ये दिल क्यूँ ख़लिश में है
ये दिल बच्चा है किसीं ना किसी ख्वाईश में है
यहाँ एहसास तो दफ़न है बेजान रूह बाकी है
फिर भी हर कोई जिंदा रहने की कोशिश में है
वो नाकाम इश्क़ में इल्म की दौलत लुटाकर..
फिर से उसी बेवफ़ा मोहब्बत के कशिश में है
कितनी हसरते लेकर आये थे इँसा की जहाँ में
यहाँ हर शख़्स बुझा सा किसी की दबिश में है
वो जवानी ही क्या किसी के काम ना आयी हो
बेफ़िक्र सोच की रवानी यहाँ पुरानी रंजिश में है
‘अशांत’ हमने उड़ने के लिए पूरा आसमाँ देखा..
अभी ये परिंद गुलिस्ताँ सरज़मी के बंदिश में है
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✍️”अशांत”शेखर✍️
21/07/2022
*इल्म -ज्ञान, विद्या, तालीम
*दबिश – दबाव,घेरना,दाब
*रवानी-प्रवाह,बहाव,तीक्ष्णता
*परिंद – पंख,पर