✍️’गंगा बहती है’✍️
✍️’गंगा बहती है’✍️
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कही मौसम
की बारिशें
सदियों से
बाढ़ को
बहाकर
गुजरती है
गांव से…
शहर से…
देश से…
इस पूरी
जगत से..
‘गंगा बहती है’
महान संतो की
विशाल धरा में..
सनातन शास्त्रों
की संस्कृति में..
पाखंड वेदों
की विकृति में…
अंधी आत्माओं
की स्वीकृति में…
मगर पाप
तो धुलता नही
हाँ ‘गंगा तो
अनविरत
बहते रहती है’
अपनी आँसूओ
की धारा में…
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✍️”अशांत”शेखर✍️
11/07/2022