✍️कभी जुबाँ आ जाये तो…!✍️
✍️कभी जुबाँ आ जाये तो…!✍️
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अगर तुम्हारे मौन
भगवान को
कभी जुबाँ आ जाये
तो जरूर पूछना
के आपको पत्थरो में
खुदवाने वाले हाथ
किसके थे…?
और पूछना इन
विशालकाय मंदिरों
के बुनियाद से लेकर
उसकी चोटी तक
किन भुजाओं ने
पत्थर है चढ़ाये…?
पूछना जमीदार से
उसके खेतो में हल
किसने चलाये..?
पूछना ठाकुरों से
उनके आँगन के
कुँवे किसने खुदवाये..?
और पूछना
इस देश की
धरा पर बने
संसद भवन से
राष्ट्रपति भवन..
इंडिया गेट से
गेट वे ऑफ़ इंडिया..
लाल किल्ले से
किला रुज..
ताज महल से
हवामहल तक
हर ताजोतख्त,
आलीशान रजवाड़े
और शानदार
इमारतों के निर्माण में
किसके हाथ लगे थे..
पूछना तुम्हारे
घर में बिछे दिवानखानो
के बिस्तरो से…
आरामखानों में रखे
नक्षीदार सोफो के गद्दों से…
किसी झूठे विद्यालय
से झूठी डिग्री
पानेवाले उस अध्यापकने
यदि इतिहास का थोड़ा ज्ञान
पा लिया होता तो
सारे सच्चे तथ्य किताबो
से उजागर हो जाते उसे…
समझ जाता वो
जिस मिट्टी से बना
वो मटका उस मिट्टी की
कोई जात नही होती
और ना ही पानी का
कोई धर्म होता है
इस महान संतो की भूमि में
पानी पिलाना ही तो
मानव धर्म होता है
वो नीच अमानवीय
अधर्म हीन आदम,
दुष्ट निंदनीय
कर्म इस पवित्रभूमि
पर कर गया है तो
तुम्हारे मौन भगवान
से फ़रियाद करना
वो मानव नही
वो तो राक्षस प्रवृत्ति
का दानव है…!
और ऐसे दानवों की धरती
पे पैदावार की रोक लगा दे…!
निष्पाप अबोध ‘इंद्र मेघवाल’
जैसे उनके हाथों मारे जानेवाले
बालको की जाने बचा ले…!
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©✍️’अशांत’ शेखर✍️
17/08/2022