✍️एक फ़िरदौस✍️
✍️एक फ़िरदौस✍️
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मेरे अंदर हौसलों
का एक बियाबान है
जो किसी जालिम मौसम
की जी तोड़ कोशिशों
से उजड़ नही सकता
मैंने अपने बूलंद
इरादों से उसकी जड़ो
को आश से सींचा है
पीड़ा की ये गर्म धुप
उसकी सहज नमी
को सूखा नहीं सकता
मैंने नये पौधों को
भूतल की सतह पर
आत्मबल से उभरने
के जिद्दी गुर सिखाए है
उन्हें उत्पाती बारिशों का
सैलाब बहा नही सकता
मैंने सारे रंगीन फूलों
की खुशबुओ को कुदरत
के जर्रे जर्रे में महकने के
सारे हसीन जज़्बात पंखुड़ियों
में भर दिए है ये बेदर्द
ठिठुरती सर्दियों का पहर
उन्हें बर्फसा जमा नही सकता
मैंने हर दरख़्तों की
शाखों में उम्मीदों के
घोंसले बेख़ौफ परिंदों
के लिये बनाये है
बेरहम तूफाँ का डर
उन्हें बिखेर नही सकता
मैंने यहाँ तक
आनेवाली हर छोटी बड़ी
राहों में विश्वास
की रोशनी जगाई है
फिर कोई बेईमान अँधेरा
किसी शज़र को
गुमराह कर नहीं सकता
मैंने यहाँ के बहारो को
ख़ुद्दारी से खिलने का
सबक सिखाया है
ये मायुस हवाओँ का झोंका
इनकी आत्मनिष्ठा को
ज़मी पे गिरा नहीं सकता
मैंने आसमाँ को
निगहबान रखा है
कहकशां के चाँद सितारों
को पासबान रखा है
तुम भी अंदर बैठी नाकामी
से लड़कर इस बियाबान में
रह सकते हो…
मेरी आँखों में मचलते हुए
ख़्वाबो के ‘एक फ़िरदौस’ को
दिल में बसा सकते हो..
अपने भी अपनों के भी….!
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©✍️’अशांत’शेखर✍️
04/08/2022