✍️एक घना दश्त है✍️
✍️एक घना दश्त है✍️
………………………………………………//
ये जो भीड़ है
रोज सुबह भोर
में जागती है
कुछ हासिल ख्वाइशों में…
और निकलती है
कुछ पाने की तमन्नाओ में…
एक घना दश्त है
यहाँ उम्मीदों का
जहाँ गुमशुदा रहती है मंझिले
कोई पार कर जाता है हँसते हँसते…
कोई हारकर बैठ जाता है रोते रोते…
…………………………………………..……//
✍️”अशांत”शेखर✍️
17/07/2022