✍️आखरी सफर पे हूँ…✍️
✍️आखरी सफर पे हूँ…✍️
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बस आखरी
सफर पे हूँ
शायद मंझिल
मिले ना मिले…
पर कल काफ़िला
रुक जायेगा…
और कदम सुस्त
पड़ जायेंगे
हाथ ना उठ पायेंगे
ये कलम छोड़ जायेंगे
लफ्ज़ नहीं उतरेंगे
तू उम्मीद ना हारना
एक लौ जलाके रखना
अभी अंधेरे साजिश में है
कल सूरज निकले या ना निकले
उस मशाल की रोशनी जला लेना
हर जूनून में आग लगा देना
आखरी सफर पे हूँ…
नयी नस्ले हमसफ़र बन ही जायेगी
नयी फस्ले लहलहाकर आ ही जायेगी
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✍️”अशांत”शेखर✍️
28/06/2022