✍️अपने …….
रिश्तों के खातिर दुनिया से खुद को हराये बैठे है ,
फिर भी अपनो की शक़्ल में न जाने कितने दुश्मन बनाये बैठे है,
सोचा था अपनो की खुशियों मे कभी कमी न होने देंगे,
हमे क्या पता था अपने हमारी ही खुशियों मे आग लगाए बैठे हैं।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी